मुर्रा नस्ल की भैंस

आप भी सोच रहे हैं कि भैंस खरीदें या नहीं तो आपको बता दें घर आई लक्ष्मी को मना नहीं करते । ऐसा आपने जरूर सुना होगा पर यह कैसे सच है वो आज हम आपको बताने जा रहे हैं । से कमाई इतनी होती है की नए पशुपालकों को विश्वास ही नहीं होता और पुराने पशुपालक एक मुर्रा नस्ल की भैंस खरीदकर धीरे धीरे 5 से 10 भैंस खरीद लेते हैं और डेयरी फर्म तक खोल लेते हैं। लाखों कमाई होती है ।

दरअसल, आपको बता दें मुर्रा भैंस पालतू भैंस की एक विशेष नस्ल है जिसे ज्यादातर दूध उत्पादन के लिए पाला जाता है। यह एक पंजाब की एक नस्ल है जो कि अब अन्य राज्यों व विदेशों में भी पाली जा रही है। हरियाणा में इसे ‘काला सोना’ कहा जाता है । दूध में वसा उत्पादन के लिए मुर्रा सबसे अच्छी नस्ल मानी जाती है। इसके दूध में 7% वसा पाई जाती है। भैंस प्रतिदिन पांच किलो दलिया और दो किलो बिनौले की खल खाती है। दूध बहुत ताकत से निकालना पड़ता है। इसकी वजह दूध का गाढ़ा होना है। भैंस मुर्रा नस्ल की है यह भी इसकी पहचान है ।

मुर्रा नस्ल की भैंस का कैसे करें पहचान :

जैसा की हमने बताया मुर्रा भैंस यह विश्व की सबसे अच्छी भैंस की दुधारू नस्ल है। यह भारत के सभी हिस्सों में पायी जाती है। इसका गृह क्षेत्र हरियाणा के रोहतक, हिसार, जिन्द ब करनाल जिले तथा दिल्ली व पंजाब हैं।

  • मुर्रा भैंस के सींग जलेबी आकार के होते हैं।
  • इनका सिर छोटा होता हैं।
  • इस भैंस का रंग काला होता है।
  • मुर्रा भैंस की गर्भा अवधि 310 दिन की हौती है तथा दूध शिराएँ उभरी हौती है।
  • इसके सिर, पूँछ और पैर पर सुनहरे रंग के बाल पाये जाते हैं।
  • इनकी पूँछ लम्बी तथा पिछला भाग सुविकसित होता है। अयन भी सुविकसित होता है।

मुर्रा नस्ल की कीमत कितनी

कीमतों की बात करें तो बाजार में एक भैंस की कीमत 90 से 2 लाख रुपए के बीच हो सकती है। लेकिन अगर आप सच में इसे खरीदने का मन बना रहे हैं तो बेहतर होगा की इसे आप भैंस ऑनलाइन ऐप मेरापशु360 से खरीदें क्योंकि वहाँ आपको यह भैंस 65000रु मे मिलनी शुरू हो जाती है और मुर्रा नस्ल की भैंस पर आपको विशेष छूट भी दी जाती है ।

अब आप सोचेंगे कि एक भैंस कितना दूध देती है, तो आप देखेंगे कि इसे खरीदने में काफी खर्च आता है। मुर्राह भैंस की सबसे अधिक उत्पादक नस्ल है, और इसके सींग इस तरह से घुमावदार होते हैं कि यह अन्य भैंस नस्लों की तुलना में अधिक दूध का उत्पादन करती है। एक मुर्रा नस्ल की भैंस प्रतिदिन 20 से 35 लीटर तक दूध दे सकती है।

मुर्रा भैंस के हैं कई लाभ :

  • मुर्रा नस्ल की भैंस भारत में किसी भी तरह की जलवायु परिस्थितियों को अपनाने में सक्षम हो सकती है।
  • ये भारत के अधिकांश राज्यों में पाले जाते हैं।
  • मुर्रा भैंसों में दूध का उत्पादन अधिक होता है।
  • औसतन मुर्रा भैंस प्रति दिन लगभग 20 से 35 लीटर तक दूध देती हैं।
  • इन जानवरों के अन्य बड़े फायदे हैं, वे क्रॉस-ब्रेड गायों की तुलना में अधिक रोग प्रतिरोधी हैं।
  • वे सूखे के दौरान सांद्रता के अभाव में किसी भी फसल अवशेषों पर पनप सकते हैं।
  • चूंकि भैंस के दूध में अधिक वसा होती है, और दूध की कीमत अधिक होती है। इससे अच्छे रिटर्न मिलते हैं।
  • मेरापशु 360 भैंस ऑनलाइन ऐप से खरीदने पर आपको कम कीमत के साथ अच्छी दुधारू मुर्रा नस्ल की भैंस आसानी से मिल जाती है ।

मुर्रा नस्ल की भैंस के उम्र का पता कैसे लगाएं

सींग के छल्लों द्वारा आप उम्र ज्ञात कर सकते है यह बहुत पुरानी और आसान तकनीक है ।

  • पहला छल्ला पशु के सींग पर 3 साल की उम्र में बनता है
  • इसके बाद प्रतिवर्ष एक छल्ला बनता है।
  • सींग पर बने छल्लों की संख्या में दो जोड़कर, पशु की उम्र पता कर सकते हैं

मुर्रा भैंस खरीदते वक्त अयन की ठीक तरह जांच करना

  • आप भैंस लें और खरीदते समय थन की बारीकी से जांच जरूर करें, जिससे थन में थन में गांठ, सूजन,का पता चल सके।
  • ध्यान रहे पेट फूले,अयन फूले, आदि बीमारी वाला पशु न खरीदें।
  • इस तरह से आप,थोखा और हानि से बच सकते हैं।

आश्रय की आवश्यकता आखिर क्यों:

बेहतर प्रदर्शन के लिए, सभी पशुओं को अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। पशुओं को भारी वर्षा, तेज धूप, बर्फबारी, ठंढ और परजीवियों से बचाने के लिए आश्रय आवश्यक है। जिसमे आप यह सुनिश्चित करें कि चयनित आश्रय में स्वच्छ हवा और पानी की सुविधा होनी चाहिए।

पशुओं की संख्या के अनुसार भोजन के लिए स्थान बड़ा और खुला होना चाहिए ताकि वे आसानी से चारा खा सकें। आप यह सुनिश्चित करें की पशुओं के अपशिष्ट का नाली पाइप 30-40 सेमी चौड़ा और 5-7 सेमी गहरा होना चाहिए।

बछड़ों की देखभाल और प्रबंधन कैसे :

ध्यान रखें जन्म के बाद बादनाक या मुंह से कफ या श्लेष्मा को तुरंत हटा दें। यदि बछड़ा सांस नहीं ले रहा है, तो उन्हें संपीड़न द्वारा कृत्रिम श्वसन प्रदान करें और हाथों से उनकी छाती को आराम दें। नाभि को शरीर से 2-5 सेमी दूर बांधकर गर्भनाल को काटें। 1-2% आयोडीन की मदद से गर्भनाल स्टंप को जरूर साफ करें।

गर्भवती पशुओं की देखभाल पर विशेष ध्यान दें :

अच्छे प्रबंधन के अभ्यास से अच्छे बछड़े पैदा होंगे और दूध की अधिक पैदावार होगी। गर्भवती भैंस को 1 किलो अधिक चारा दें क्योंकि वे भी शारीरिक रूप से बढ़ रही हैं। बेहतर और पौष्टिक पशु आहार के लिए आप मेरापशु 360  वेबसाईट या एप पर जाकर फ्री डेलीवेरी के साथ खरीद सकते हैं ।

भैंस ऑनलाइन ऐप की मदद जरूर लें

आप पशु खरीदते वक्त एक बार भैंस ऑनलाइन ऐप की मदद अवस्य ले ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इससे आपको ही फायदा है। मेरापशु 360 पशुपालक की हर वो जरूरत पूरी करता है जो की उन्हे अपने पशुपालन में जरूरी होता है ऐसे में यह आप आपको मदद के साथ आकर्षक ऑफर देता है जिससे आप इसका लाभ लेकर अपनी कमाई को दुगना कर सकते हैं । तो देरी न करें आज ही पशु घर लाएँ और इसका लाभ उठायें ।

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